खुला आसमान
उसमें चैन की सांस
वह तो तब ही आती है
जब सर पर सीमेंट का छत हो
नीला वितान तले दुनिया की मौज ।
मौज - मस्ती धरी रह जाती है
जंगल की सैर का मजा तब
जब कहीं अपना भी एक घर हो
उनसे पूछो जो नीले वितान तले रहते हैं
गर्मी, ठंडी , बरखा की मार झेलते हैं
किसी तरह एक छत हो जाएं सर पर
प्रकृति का सौंदर्य तभी भाता है
जब संपन्नता भी साथ हो
एक गांव लगें सबसे प्यारा, सबसे न्यारा
उसी को छोड़ चल पडते हैं
उस शहर की ओर
जहाँ सांस लेना भी दूभर
यही विडंबना है जीवन की
जो अच्छा लगता है
उसके साथ रहता नहीं कोई ।
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