Monday, 14 August 2023

स्वामी भक्ति

सुना है 
पहले लोग स्वामी भक्त होते थे
नमकहराम नहीं नमक हलाल होते थे
इतिहास ऐसे ढेरों किस्से कहानियों से भरा पडा है
आज तो यह हालत है
अपने मालिक को ही लूट लेना
उसकी हत्या करना
काम करने वाले लोग 
मालिक की रग - रग से वाकिफ होते हैं 
वह उनका ड्राइवर हो रसोइया हो दरबान हो या कोई और
कुछ भी कर सकता है
वह भी क्या जमाना होगा
स्वामी भक्ति  का 
नैतिकता से भरपूर 
आज तो हम इसकी कल्पना भी नहीं कर सकते
किसी पर विश्वास नहीं 
हाँ पशु को छोड़कर 
उसके दिमाग नहीं होता 
दिमाग वाले ही खेल खेलते हैं 
ईमानदारी,  सच्चाई सब लुप्तप्राय 
बस हड़पना है 
वह किसी भी तरह 
न कर्मचारी गुलाम होता है
न मालिक भगवान होता है
दोनों के बीच संबंध होता है
एक - दूसरे की जरूरत होते हैं 
एक को काम और पैसा तो दूसरे को आधार 
उसको निभाना दोनों की जिम्मेदारी 

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