खुशियों की सौगात लाती है
वह आशीर्वाद और दुआ की पोटली लिए रहती है
सब दिल खोलकर देती है
उसके भाई की जगह कोई नहीं ले सकता
भाई उसका सबसे प्यारा सबसे न्यारा
वह दिखाती नहीं है
शो ऑफ नहीं करती है
उसके गुस्से और तकरार में भी प्यार
शिकवा - शिकायतें भले हो
प्यार में कमतर नहीं
घर में बडे बडे मेहमान आ जाएं
एक बहन न आएं
तो वह बेकार है
एक नाल से बंधा रिश्ता
एक रक्त का रिश्ता
ईश्वर प्रदत्त रिश्ता
यह इस जन्म में तो नहीं मिलेगा
सहोदर बहन-भाई
माॅ के उदर से जन्म
वे आदर के पात्र
ऐसा रिश्ता जो एक - दूसरे का बुरा सोच ही नहीं सकता
मतभेद हो सकते हैं
मनभेद न हो
घर तो गुंजायमान बहन-बेटियों से ही
लक्ष्मी हैं वे
उनका अनादर कर कोई सुखी कैसे होगा
रक्षाबंधन तो एक निमित्त मात्र है
एक दिन नहीं
हर दिन घर के दरवाजे खुले रहें उनके लिए
मन से मन मिले
दिल से दिल मिले
भाई से बहन मिले
तब सब बात बने ।
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