Friday, 1 September 2023

खोना - पाना

मैं तो सबका ध्यान रखता गया
किसी को खो न दू , इस बात से डरता रहा 
कोई मेरी बात का बुरा न मान जाएँ 
इस बात का ख्याल रखता रहा
यह करते - करते अपने को भूलता गया
दूसरों की परवाह की , स्वयं को नजरअंदाज करता रहा
सालोसाल बीतता गया
यह सिलसिला चलता रहा
मन को मारता गया
दूसरों की इच्छा के आगे झुकता गया 
वे अपने थे उनको खो न दू 
यही सोचकर सब करता रहा 
इस चक्कर में वे अपने रहे न रहे 
स्वयं को खो दिया मैंने 
यह आना - जाना 
यह खोना - पाना 
क्या इसी के इर्द-गिर्द है जिदंगी 
अपने , अपने न हो सके
हम स्वयं के न हो सके
अब सोचता हूँ 
क्या सही किया
क्या गलत किया
दूसरों की नजरों से खुद को तौला 
अपनी नजर को नजरअंदाज कर दिया 
बहुत कुछ खो दिया ।

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