ध्वनियां सालती है
अच्छी नहीं लगती
शांत- नीरवता भली है
यही सोचकर बाहर आया
घर में कोलाहल
चलो बगिया में
यहाँ पर भी कहाँ शांति
चिड़ियों की चहचहाहट
पेडो की सरसराहट
लोगों की बकबकाहट
सब निरंतर जारी है
किसी को कोई फर्क नहीं पडता
सब अपनी धुन में मगन
कोई बोल रहा है
कोई चिल्ला रहा है
कोई चल रहा है
गतिमान है
गतिविधियों में लिप्त है
जीवन है सांस है
तब तक ही ध्वनी का वास है
सांस भी चलती है
तो वह भी आवाज करती है
जहाँ ध्वनि नहीं वहाँ कुछ नहीं ।
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