Tuesday, 12 September 2023

कल्पना- सपने में जीना

आदमी का बस चलता तो चांद धरती पर होता
यह संभव नहीं है
वह चाँद पर जा तो सकता है
उसे धरती पर ला नहीं सकता
चांद- तारों की कल्पना कर सकता है
अपनी प्रेमिका के लिए तारें तोड़ लाने की बात करता है
जबकि वह यह भलीभाँति जानता है 
यह हो नहीं सकता
व्यक्ति कल्पना में जीता तो है
साथ साथ में वह हर असंभव को संभव करने की कोशिश में लगा रहता है
कभी सफल तो कभी असफल 
प्रयास जारी रहता है
इसी फलस्वरूप उसने बहुत कुछ हासिल किया है
कल्पना से शुरू हुआ प्रवास यथार्थ की धरती पर उतरा है
सपने देखना , कल्पना करना , महत्त्वाकांक्षा रहना 
यह बुरी बात तो नहीं है
बडा होने का ख्वाब 
कुछ कर गुजरने की इच्छा 
यही तो उसके जीवन को उद्देश्य पूर्ण बनाते हैं 
सतत क्रियाशील रहना 
उसे सब जीवों से अलग करता है 
  नहीं तो फिर 
अजगर करे न चाकरी , पंछी करे न काम 
दास मलूका कह गए,  सबके दाता राम 
     तब तो राम जी है ही ।

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