ऑचल में है दूध ऑखों में पानी
बुदेलों- हरबोलों के मुख से हमने सुनी कहानी थी
खूब लडी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी
नारी को अबला बना कर रखा गया । नारी कभी अबला थी ही नहीं।
यह देश विदुषियों और वीरागनाओं का रहा है । जौहर कर आग में कूद जाना और सर काटकर पति को भेंट स्वरूप दे देना , ऐसे किस्सों से इतिहास भरा पडा है ।
हमारे यहाँ तो नारी शक्ति स्वरूपा है ।
पुरातन समय तो देखा ही है
नए समय में भी इंदिरा गांधी, सरोजिनी नायडू, कस्तूरबा गांधी, विजया मेहता , भगिनी निवेदिता, मैडम भिखाजी कामा जैसे नाम है जिसने अपना परचम फहराया है ।
सुषमा स्वराज , सोनिया गाँधी भी इसी कडी में हैं
राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढनी चाहिए
इसके लिए बहुत समय से प्रयास चल रहा था आज उस दिशा में एक और कदम बढा है जो निश्चित ही सराहनीय है
महिला शिक्षित होती है तो परिवार शिक्षित होता है
महिला को देश के विकास में संसद में भागीदारी बढती है तो देश का सर्वाधिक विकास होगा ।
जब हर क्षेत्र में तो फिर राजनीति में क्यों नहीं ।
नारी शक्ति वंदन अधिनियम का स्वागत है । आशा है जल्दी ही क्रियान्वित भी होगा।
नारी तो शक्ति है ही , बस उसको पहचानना है
उसको अधिकार देना है
उसको कार्य देना है
हमारी आधी आबादी को उसके सामर्थ्य का एहसास दिलाना है ।
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