कागज का टुकड़ा नहीं था
उस पर कलम और स्याही से शब्द उकेरा जाता था
अपनी भावनाएं उसमें समाहित की जाती थी
प्यार - मनुहार
कुशल - क्षेम
कुछ अपनी बीती
सब जाहिर होता था
महीनों और कभी-कभी बरसों से दूर जो थे
उनका पत्र पाकर ही सांत्वना और दिलासा मिलती थी
पत्र के सहारे दिन कट जाते थे
पत्र का इंतजार
डाकिए का इंतजार
हमेशा रहता था
ऑख दरवाजे पर लगी रहती थी
हाथ में थामते ही चेहरे पर चमक आ जाती थी
छोटा सा पोस्टकार्ड
नीली अंतर्देशी
बंद टिकट लगा लिफाफा
वे सब कितने अमूल्य थे
आज सामने बात कर लेते हैं मोबाइल से
दूरी कम हो गई है
इंतजार का झंझट नहीं
फिर भी वह बात तो नहीं
उसमें दूरी भले थी मन जुड़े थे
पत्र वाले जमाने के लोग
आज भी अपना पत्र संजोये रहते हैं
कितने पन्ने भर जाते थे
मन नहीं भरता था
समय ने करवट ली है
नई तकनीक आ गई है
वह बहुत अच्छा है
फिर भी पत्र में कुछ बात थी
बरसों संबंध कायम रखने वाला यह माध्यम
इसकी खुशबू बरकरार है
पत्र तो पत्र है
वह प्रेम का ऐसा भंडार है जिसके भंवर में हम जी रहे हैं
यादों में गोते लगा रहे हैं
कुछ एहसासों को ताजा कर रहे हैं।
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