याद रहना भी चाहिए
जगत के पालनहार का जन्मदिन था
उत्सव मनाने का दिन था
उस दिन एक और शिशु का भी जन्म हुआ था
वह थी योगमाया
कान्हा तो गोकुल पहुँच गए
मामा कंस के कोप का भाजन बनी थी वह बेटी
जिसने कहा था
तुम्हारा काल तो गोकुल में जन्म ले चुका है
बेटा - बेटी दोनों ही संतान
तब खुशी के हकदार तो दोनों ही
वह योगमाया ही थी जिनको बदलकर वसुदेव कृष्ण को ले गए थे
कृष्ण की जीवन रक्षा का कारण वह बनी
सबको जीवन देने वाले का जीवन बनी
कन्हैया के साथ उनका भी स्मरण करना जरूरी है
देवकी की आठवीं संतान तो पुत्र ही था यह तो नियति लिखित था
कंस वध तो उनके द्वारा ही होना था पर जन्मते तो वध नहीं करते
मनुष्य लीला करनी थी
उस दिन भी एक पुत्र को बचाने के लिए पुत्री को सामने किया गया था
दोनों का जीवन बहुमूल्य ही था
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