Thursday, 7 September 2023

जय सुदर्शन धारी की

अपनी जान कितनी प्यारी होती है 
मथुरा के युवराज कंस रथ हाक रहे थे 
बहन देवकी की बिदाई थी । प्रिय बहन थी ऑखों में अश्रु थे भाई था 
स्वाभाविक है कितने प्यार और भरे मन से 
जैसे हर भाई रहता है
भविष्य वाणी होती है , देवकी का आठवां पुत्र तुम्हारा काल बनेगा 
सब कुछ उसी क्षण पलट गया
नियति ने क्या खेल खेला
बहन को कारागार में डाल दिया  
अपने मौत के डर से उसके हर बच्चे की हत्या करते रहे
मौत के डर से दूसरों को मौत के घाट उतारते रहें 
मौत तो अटल सत्य है जीवन का 
फिर भी कोई नहीं चाहता कि वह आए 
आई वह उस अमावस्या की रात रोहिणी नक्षत्र में 
काल आ चुका था कृष्ण के रूप में 
भाई- बहन के प्यार के बीच मौत अपना तांडव खेल खेलती रही 
अंत हुआ कंस का 
आततायी से छुटकारा मिला मथुरा वासियों को 
जन्म लेना पडा ब्रह्माण्ड के स्वामी को
मामा को मारना पडा 
जब जब धर्म की हानि होगी तब तब तो वे आएंगे ही 
          जय सुदर्शन धारी की 

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