तुम्हारा हर रूप मुझे भाता है
सबसे ज्यादा सखा रूप
मैं अर्जुन और तुम मेरे सारथी
मैं उद्धव हूँ और तुम मेरे मार्गदर्शक
मैं सुदामा हूँ और तुम मेरे तारणहार
अपने मित्र के साथ हर परिस्थिति में खडे रहने वाले
मेरे साथ हमेशा खडे रहे
कभी-कभी मैं कमजोर पड जाता हूँ
तब मुझे उत्साहित करें अर्जुन जैसे
कभी-कभी गर्वित हो जाता हूँ
तब मुझे सही रास्ते पर ले आए
कभी-कभी मैं संपत्ति चाहता हूँ
उस समय सुदामा बन कर मुझे धन धान्य से भर दे
यह सब रूप तो चाहता ही हूँ
लेकिन वह सखा के रूप में चाहता हूँ
जो भरी सभा द्रोपदी की लाज बचाने आ गया था
हर परिस्थिति से मुझे बचाइए
सखा बन कर हमेशा साथ रहें
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