लोग मिलते गये
जुड़ते गये
कारवां बढता गया
सफलता की सीढियां चढता रहा
ऊंचाई पर पहुँच गया
जब वहां से नीचे झाँका
तो सब नीचे ही थे
मैं अकेला ही यहाँ पर पहुँचा
यह केवल मेरी ही उपलब्धि थी
मेरा ही प्रयास था
उस पर चिंतन- मनन करने लगा
महसूस हुआ
अकेले कुछ नहीं होता ।
No comments:
Post a Comment