श्रद्धा और भक्ति से अपने पितरों को याद करने का मास
उनको जिनके कारण तुम इस संसार में आए हो
उनके प्रति कृतज्ञता तो बनती ही है
मृत्यु के बाद भी याद करना
इससे अच्छी बात और क्या हो सकती है
एक और बात याद रहें
जो पृथ्वी पर हैं हमारे जन्मदाता
उनके प्रति भी जवाब दे ही बनती है
मृत्यु पर भोज और जीते जी भोजन के लिए तरसे
मृत्यु पर नया कफन और जीते जी फटेहाल
प्रेम और अपनेपन के लिए तरसते हमारे बुजुर्ग
आज वृद्धावस्था में तिरस्कृत हो रहे हैं
वे कभी घर की शान हुआ करते थे
मुखिया होते थे
निर्णय उनके अनुसार लिया जाता था
आज उपेक्षित हो रहे हैं
संयुक्त परिवार खतम हो रहे हैं
एकल में उनके लिए स्थान नहीं है
पेड़ कितना भी पुराना क्यों न हो
छाया ही देता है
ये हमारे बुजुर्ग जीते जी तो हम पर आशीर्वाद बनाएं रखते हैं
मृत्यु के बाद भी वे कुछ दिनों के लिए पृथ्वी पर आते हैं
अपने बच्चों को आशीर्वाद देने के लिए
उनको देखने और निहारने के लिए
पितृपक्ष मनाएं पर साथ में बुजुर्गों पर भी ध्यान दे
आशीर्वाद की बौछार होगी
बच्चे फले- फूलेगे और आगे बढ़ेंगे।
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