जो हमारे मन का नहीं होता है
इसलिए सब खराब है
दुनिया जीने लायक नहीं है
अब मन उठ गया है
यहाँ से कहीं चला जाएं
कहाँ जाओगे
रहना तो यही है
यहाँ या वहाँ
सब तो वैसे ही होगा
हम किसी को बदल नहीं सकते
अपने अनुसार ढाल नहीं सकते
आप अपने लिए जिम्मेदार है
किसी और के लिए नहीं
आप प्रेम से हाथ मिलाना चाहते हैं
सामने वाले का हाथ बढता ही नहीं
तब क्या जबरदस्ती करोगे
सोच सोचकर दुखी रहोगे
छोड दो सब
अपने लिए जीओ
कब तक संबंधों को रफू करते रहोगे
कपडा फट गया है
जीर्ण शीर्ण हो गया है
सीने और रफू करने पर भी फट जा रहा है
छोड दो , कहीं फेंक दो
यह संसार परिवर्तन शील है
लोग बदल जाते हैं
यहाँ तक कि सत्य को भी दबा दिया जाता है
छोटी सी जिंदगी है
तकरार छोड़ो
अपेक्षा छोड़ो
क्या हार में क्या जीत में
किंचित नहीं भयभीत मैं
कर्तव्य पथ पर जो भी मिला
यह भी सही वह भी सही ।
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