Wednesday, 13 September 2023

हम हारे हुए लोग

हम हारे हुए लोग हैं 
जीतने की कला आती नहीं 
जीतना कभी चाहा नहीं 

अपने ऊपर हुए मजाक पर भी मुस्कराते रहें 
गलत है यह जानते हुए भी सही ठहराते रहें 
जवाब देना चाहते थे पर उससे बचते रहें 
खुशियाँ खुलकर मनाना चाहते थे वह भी नहीं 
दूसरों के लिए अपनी इच्छा को मारते रहें 
दूसरों को पता न चले इस वास्ते अपने ऑसू छिपाते रहें 
दुख - पीडा में भी मुस्कराते रहें 
सम्मान की आशा में अपमान का घूंट पीते रहें 
शांति की कोशिश में अशांति को ओढते रहे 
दूसरे का भी इल्जाम अपने माथे लेते रहे 
एहसानों की दुहाई को सुनते रहें 
अपने व्यक्तित्व को मिटाते रहें 
अपनी भावनाओं को तार तार करते रहें 

यह सब करते करते हम जाने कहाँ से कहाँ पहुँच गए 
अपने आप को भी भूल गए 
अपने आत्मसम्मान को गिरवी रख दिया 
इतना सब होता रहा और हम निर्लज्ज मुस्कराते रहे 
रिश्तों को बचाते रहे 
कहाँ शुरू हुआ कहाँ खतम होगा 
हम क्या थे और क्या हो गए ।

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