सबके रंग अलग-अलग
सबका सौंदर्य अलग-अलग
सबकी खुशबू अलग-अलग
हॉ एक बात सबमें हैं
आनंदित करना
खुशबू फैलाना
किसी और के काम आना
वह गजरा हो या गुलदस्ता
पूजा के फूल हो या वरमाला के
ईश्वर के दरबार में तो हम रहते ही हैं
किसको अपना बनाना हो
अपना प्यार दर्शाना हो
तब हमसे अच्छा कोई नहीं
हम बालों से लेकर किताबों के पन्नों में
हमारी जिंदगी बहुत छोटी है
एक या दो दिन की
हमें कोई मलाल नहीं
जब तक रहते हैं
बस देते रहते हैं
हमें देख बहुत सारे कागज - कपडे इत्यादि के भी बन रहे हैं
वे खुबसूरती में भी कम नहीं है
टिकाऊ भी है
लेकिन उनसे खुशबू नहीं आ सकती
असली तो असली ही रहता है
यह सबको पता है
तभी तो हम आज भी लोगों की खुशियाँ और खुशबू बाँट रहे हैं
इस बात का संतोष है
जिंदगी छोटी ही सही सार्थक तो है ।
No comments:
Post a Comment