इन्हीं की चर्चा चहुँओर
हर जगह अच्छाई और बुराई है
ठाकुरों के बलिदान से इतिहास भरा पडा है
यह जाति नेतृत्व करने वाली थी
वीरता और साहस इनमें कुट कुट कर भरी थी
देशभक्ति में इनकी मिसाल नहीं
रही बात ब्राह्मणों की
ब्राह्मण का ताल्लुक शिक्षा से रहा है
ज्ञान दान और पूजा - पाठ
यही इनका कर्म और धर्म रहा है
वीरता और ज्ञान यानि ठाकुर और ब्राह्मण
अति भी हुई है इससे इन्कार नहीं किया जा सकता
समय बदला तो बदलाव भी हुए
ये लोग भी बदले
अब वह पहले जैसा रौब और रूतबा उनका भी नहीं रहा
वे भी इस सत्य से वाकिफ है
पहले इनके लोगों ने हमारे साथ अन्याय किया था
अब उसका बदला लेना है
यह भी तो न्यायोचित नहीं है
उनका योगदान भी तो है
वह कहाँ कम है
ऐसा नहीं कि ठाकुर और ब्राह्मण को आनेवाली पीढी घृणा की दृष्टि से देखें
हर जाति को अपने पर गर्व होना चाहिए
उनके योगदान को सराहा जाना चाहिए
सब मिलकर एक धर्म बना है वह है हिन्दू धर्म
सबके अपने-अपने कर्म थे वे बंटे हुए थे
समाज की संरचना ऐसी ही थी
छूत- अछूत तो थे ही नहीं
यह सब बाद में हुआ
गलती थी और गलत भी हुआ
लेकिन अब दूसरा उसी कारण गलती करें
यह भी तो अनुचित है
संविधान में अधिकार सबको बराबर के हैं
अपने अधिकारों का उपयोग करें
जीओ और जीने दो पर अमल करें।
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