दुनिया से रूखसत कर गया
बहुत कमाए पैसे - रूपये
गाडी - बंगला भी बनाया
जमीन - जायदाद भी है
बेटे - बेटी , नाती - पोतों से भरा परिवार
सब यही छोड़ गए
कुछ साथ न ले गए
रोते रोते आए होगे
रूलाते हुए चले गए
कुछ दिन याद रहेंगे
फिर सब भूल जाएंगे
अपने - अपने में व्यस्त हो जाएंगे
श्राद्ध वगैरह पर याद कर लेंगे
माया मोह में बंधा रहता आजीवन
सब यही छोड़ जाता है
यह बात तो सबको पता है
तब भी वह इन जंजीरों में जकड़ा रहता है
वह दूसरों के लिए जीता है
यह भ्रम है
अपने लिए जीता है
अपनी खुशी के लिए जीता है
उसे पता है
वह जाएंगा तो अपना अंश यही छोड़ जाएंगा
उसकी वंश बेल जब फूले - फलेगी
वह उसमें अपने को ही पाएंगा
सच है ना
मरने के बाद भी मोह नहीं छूटता ।
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