Thursday, 9 November 2023

अंधेरे की औकात नहीं

दीवाली आई है
खुशियों की सौगात लाई है
घर के पुराने सामान निकाले जा रहे हैं 
कूडे  - कचरे के साथ फेंके जा रहे हैं 
जो तुम्हारे लिए कूडा कचरा
किसी और की जरूरत है
वे बीन रहे हैं 
छांट रहे हैं 
अपने काम का सामान ले रहे हैं 
एक -दो बच्चों के साथ कुछ औरते उनमें कुछ ढूँढ रही है
टटोल रही हैं 
उनके हाथ जल्दी जल्दी चल रहे हैं 
किसको कितना खजाना मिल जाएं 
फेंके हुए कबाड भी किसी के खजाने से कम नहीं 
सबके घर रौनक होंगे 
कुछ के नए से
कुछ के पुराने से
भर जाएंगा सामानों से
हर घर जगमगाएँगा
कुछ दीयों से कुछ लडियों से
अंधेरे पर प्रकाश हावी होगा
यही तो एक पर्व है 
जहाँ अंधेरे को दूर भगाया जाता है
साबित होता है
अंधेरा कितना भी घना क्यों न हो
आखिर उसको जाना है 
अंधेरे की औकात कहाँ 
कि वह प्रकाश को रोक सकें। 

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