कोई हमें फूलों का गुलदस्ता दें
क्यों ना हम अपने ही बगीचे या गमले में फूल उगाएं
उसमें खाद - पानी डाले और सींचे
उस मिट्टी को ही सजाए- संवारें और पौधा लगाएं
समय आएगा और फूल भी खिलेगे
उस फूल की महक हमें आनंद से भर देंगी
उसकी सुंदरता से हम मंत्रमुग्ध हो उठेगे
उसमें हमारा प्रयत्न होगा
किसी का दिया हुआ नहीं
उसकी बात ही कुछ और होगी
अपनापन का एहसास होगा
मेहनत का प्रतिफल होगा
उसके फूल मंहगे गुलदस्ते के सामने अनमोल होगे
वह हमारे हाथों की खुशबू से सराबोर होगे ।
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