Thursday, 11 January 2024

मेरी माँ

ना जाने कितनी बार बिखरी हूँ 
मन टूटा है 
निराशा और हताशा हुई है
अंधेरा ही अंधेरा दिखाई दिया है
उस समय एक रोशनी की किरण आई हमेशा 
रास्ता दिखाने को
उत्साह बढाने को
मुझमें नित नयी संभावना ढूंढने को
मुझे जमकर खडा होने में 
डगमगाने पर हाथ मजबूती से पकड़ लिया 
हर बार जिसने 
वह है मेरी जननी मेरी माँ 
जिसकी दुनिया ही मैं उसके लिए 
उसके रहते कभी कमजोर नहीं रही
एक संबल जो बहुत मजबूत 
ईश्वर के बाद अगर किसी का आधार
वह उसका 
ईश्वर को तो देखा नहीं 
वह तो साथ ही थी 
ईश्वर से जो मैं अपने लिए न मांग पाऊँ 
वह वो मांग लेंगी 
यह विश्वास था 
बहुत कुछ हुआ भी
कृपा ईश्वर की 
कृपा उसकी 
बस उस पर अपनी कृपा बनाएं रखना 
वह हमको अपने आप मिल जाएंगी ।


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