यह उनसे पूछे
पढाई पूरी हो चुकी
नौकरी मिल नहीं रही
तैयारी शुरू
इंटरव्यू पर इंटरव्यू
मन चाही सफलता नहीं
नौकरी नहीं तो छोकरी नहीं
न नौकरी न ब्याह
सबका जिम्मेदार वही
हर किसी की निगाहे बदलती दिखती
रिश्तेदार और अडोसी पडोसी सबकी
बिना कुछ अपराध किए ही सबसे नजर चुराना
घर में बैठना मुश्किल
बाहर बैठना मुश्किल
हर किसी की ऑख में खटकना
लोगों के ताने और कडवी बातें गटकना
जो एक समय सबका लाडला
आज वह बेकार - निकम्मा
सिद्ध करना है उसको अपने को
वह कोशिश में लगा है
सफलता कब यह पता नहीं
सपने कब साकार होंगे
उसके सपनों के साथ सबके सपने जुड़े हैं
जब तक पूरा न कर पाएं
तब तक उसकी हालत
धोबी का कुत्ता
न घर का न घाट का
वह गधा रहता तब भी अच्छा रहता
उसका महत्व तो होता ।
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