Monday, 8 January 2024

ऑसू आ जाता है

किस बात पर रोना आया
किसी ने पूछा 
जवाब मिला 
बडा पेचीदा प्रश्न 
उससे तो यह रहता 
किस बात पर रोना नहीं आया
रोना क्या है ऑख तो कभी भी भर आती है
न जाने किस बात पर ऑसू निकल पडे
खुशी में भी 
गम में भी 
यह छलक ही पडते हैं 
अपनों के सामने
बेगानों के सामने भी
ईश्वर के समक्ष 
माता-पिता के समक्ष 
ऑंसू के पास शब्द नहीं होते
अपनी कोई भाषा नहीं होती
फिर भी वह इतने ताकतवर होते हैं 
कि बिना कहे सब कह जाते हैं 
जहाँ शब्द असमर्थ हो जाते हैं 
वहाँ ऑसू काम आते हैं 
यह दिल से निकल कर ऑखों में आती है
ऑसू बहाना कमजोरी नहीं 
यह तो मनुष्य होने की निशानी है
जब रोना आए रो लो 
कुछ तो दर्द बाहर आएगा 
कुछ तो राहत मिलेगी 
सब भले साथ छोड़ दे 
ऑसू नहीं 
जब यह साथ छोड़ता है
तब वह दिल पत्थर हो जाता है 
भावना है तो ऑसू है
यही तो सच है ।




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