Sunday, 14 January 2024

अंधेरे से प्रकाश की ओर

हर अंधेरे की सुबह जरूर होती है
अब यह इस पर निर्भर करता है
वह अंधेरा कितना घना होगा
कितना लंबा होगा
यह तो कोई नहीं जानता
अंधेरे से प्रकाश में आने के लिए 
पता नहीं किन - किन रास्तों से गुजरना पडता है
कुछ तो प्रकाश की ओर पहुँच जाते हैं 
कुछ अंधेरे में ही दम तोड़ देते हैं 
कुछ अनाम हो जाते हैं 
कुछ तो पहुँचते पहुँचते रह जाते हैं 
दूर से ही प्रकाश को आते हुए देखते रह जाते हैं 
यह यात्रा इतनी आसान नहीं होती 
बहुत बार गिरना पडता है
चोट खानी पडती है
सब्र करना पडता है
विष का घूंट पीना पडता है
तब जाकर वहाँ तक पहुंचते हैं 
संघर्षों के पायदान पर चढकर प्रकाश हासिल होता है ।

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