नई फसल का आगाज
लेकर आ गया मकर संक्रांति का त्यौहार
ठंडी का आहिस्ता - आहिस्ता गमन
फसलों और सब्जियों की भरमार
जी भर खाएं
जी भर आनंद मनाएं
तील - गुड खाएं
मीठा - मीठा बोले
जीवन में भी मिठास घोले
जी भर पतंग उडाए
उडे आसमान पर
जमीन से नाता न तोड़े
दान - धर्म करें
स्वयं खाएं दूसरों को भी खिलाएं
खिचड़ी जैसे सबको अपने साथ मिलाए
हल्का भी सुपाच्य भी गुणों से भरपूर भी
बहुत कुछ कहता है यह त्योहार।
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