Wednesday, 31 January 2024

अपनों के साथ ही जीना

मैं भूलना चाहती हूँ 
सब कुछ 
सबसे छुटकारा पाना चाहती हूँ 
पाना भी चाहती हूँ 
भूलना भी चाहती हूँ 
चाहती भी हूँ 
नहीं भी चाहती हूँ 
यही तो बडा कन्फ्यूजन है
कभी-कभी लगता है 
अब बस
अब बहुत कर लिया
छोड दो
सब अपने आप कर लेंगे 
पर छोड़ा भी नहीं जाता
ये तो मेरी जिंदगी से जुड़े हैं 
उनके बिना तो जिंदगी, जिंदगी नहीं 
जब तक जीवन है 
तब तक तो इन सब से मुक्त होना संभव नहीं 
ये तो जान है मेरी 
प्राण है मेरी 
मेरी आत्मा में ये ही समाएं 
ईश्वर से भी दुआ मांगते हैं तो इनके लिए 
अपनी परेशानी को झेल लेते हैं 
इनकी नहीं 
कहाँ जाएं 
इनके बिना तो स्वर्ग में भी शांति नहीं मिलेंगी 
अपनों के बिना रहना 
यह तो सोचा नहीं 
उनके लिए कुछ करना 
तब खुशी दुगुनी 
माँ जब अपने मुख का कौर 
बाप अपनी पीठ पर बोझ लादते
वह भूख और बोझ महसूस ही नहीं होता
नहीं भूलना बस उनके बारे में सोचना
इनके बिना नहीं रहना ।

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