अपने राम लला को मंदिर में विराजमान
जिसने कल्पना ही की हो राम राज की
जिसके मुख से गोली खाने के बाद जो शब्द निकला
वह था हे राम
जिसका भजन ही था
रघुपति राघव राजा राम
पतित पावन सीताराम
पांच सौ बरसों की लडाई
राम को तो लाना वह भी चाहते होंगे
हिन्दू तो वे भी थे
राम के सिद्धांतों को मानने वाले
हिन्दू कभी बर्बर नहीं हुआ
हिन्दू ने कभी किसी का धर्म स्थल पर जबरन कब्जा नहीं किया
हिन्दू ने कभी किसी को जबरन धर्म परिवर्तन नहीं कराया
हाँ अपना अधिकार तो लेना ही था
कायर भी नहीं डरपोक भी नहीं
असहिष्णु भी नहीं
लेकिन कब तक
देश तो अंग्रेजों का नहीं था ना
तब भी हम गुलाम बने रहे
अंग्रेजों भारत छोड़ो
यह नारा भी इन्हीं महात्मा ने दिया था
आज सच की विजय हुई है
अहिंसा की विजय हुई है
न्याय की विजय हुई है
तभी हमारे राम विराजे हैं
महात्मा भी ऊपर से देख रहे होंगे
मुस्करा रहें होंगे
सबके साथ गा रहे होंगे
रघुपति राघव राजा राम
पतित पावन सीताराम
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