Sunday, 14 January 2024

संघर्षों से सामना

संघर्षों से जब हुआ सामना 
मानों सब बदल गया 
संघर्ष  प्रखर 
जीवन प्रबल 
संघर्षों से उठा निखर 
अग्नि में तप चमक उठा
भट्टी मे जलकर पिघल गया 
सांचे में  ढल कर गढ गया 
जब इन सबसे बाहर निकला 
चम चम चम चमक उठा
देखने वाले देखते रह गए
कहने वाले कहते रह गए 
आलोचक चुप हो बैठ गए 
जलने वाले जल - भुन राख हो गए 
ऐसा पलट जवाब मिला 
मेहनत का प्रतिफल मिला
राह मिल गयी 
रूकना नहीं चलना है
यह तो कुछ भी नहीं 
और बानगी दिखाना है 
नामुमकिन को मुमकिन बनाना है
असंभव को संभव करना है
कहें  लोग यह बात
चले चर्चा हर ओर
अरे भाई 
यह क्या नहीं कर सकता ।


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