Friday, 5 January 2024

माधुरी

माधुरी तू सांचे में ढली हुई अप्सरा है 
या हममें से कोई सामान्य नारी है
तेरी साडी का पहनावा लगता बेमिसाल 
तेरी गजगामिनी चाल
तेरे हंसते हुए अधर 
तेरी शोख अदाएं 
तेरी मधुरिम आवाज 
देखने वाले देखते ही रह जाते हैं 
नजरें नहीं हटती 
खिलखिलाती, पायल छमकाती 
बल खाती जब परदे पर आती 
दिलों की धडकनें बढ जाती 
भारतीय नारी का प्रतिरूप 
जिसे बार- बार देखने को उत्सुक 
बूढे - बच्चे - औरतों को तो पसंद ही हो
युवा- नवजवानों के दिल की धड़कन भी
देश से प्यार तभी तो देश में फिर से वास 
अब मत जाना कहीं 
रहों तुम यही सबके दिल पर राज करो ।

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