समय के साथ हम भी धीरे-धीरे अतीत हो रहे हैं
जो कल था वह आज नहीं
जो आज है वह कल नहीं
कभी प्रकाश पुंज थे
दम दम दामिनी सी दमक रहे थे
आज प्रकाश कुछ धुंधला हो रहा है
सुबह से संझा की ओर प्रस्थान हो रहा है
तेजोमय धूप से ढलती संझा की ओर सरक रहे हैं
हाँ यह बात अवश्य है
अभी संझा ढली नहीं
अभी रात हुई नहीं
रात बाकी है
बात बाकी है
बहुत कुछ करना बाकी है
कुछ कहना कुछ सुनना
कुछ समझना कुछ समझाना
जीवन को अपने ढंग से जीना
जो कुछ किया नहीं वह करना
अपनी इच्छाओं को पूरा करना
सुबह बीती संध्या ढलान पर
हाँ रात तो बाकी है
यही बहुत काफी है
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