Saturday, 13 January 2024

इसका जिम्मेदार कौन??

वह छोटा था 
हम सब एक ही पाठशाला में पढते थे
आपस में दोस्ती थी
साथ मिलकर खेलते - कूदते थे
ऐसे ही धीरे-धीरे बडे हुए
आना - जाना बदस्तूर जारी रहा
बचपन जैसा तो नहीं 
हाॅ कभी- कभार मिल लेते थे 
बचपन में अधिकतर वह हमारे घर ही नाश्ता कर लेता था
उसकी माँ डांटते हुए ले जाती थी
हम भी कभी-कभी जा कर सैवेया खा लेते थे
तब हमारी भी माँ चिल्लाती थी 
उससे किसी को कोई फर्क नहीं पडता था 
मन एक था हाँ धर्म अलग थे
दोस्ती जब होती है तब वह कुछ नहीं देखती
यही तो इसकी खासियत है
न जात - पात न धर्म 
कुछ आडे नहीं आता 
दीवाली में वह भी आ फटाके फोड था
गणेशोत्सव में भजन भी गाता था
हम भी उसके साथ कभी-कभी मस्जिद तक जाते थे
अदब से सर झुकाते थे
समस्या खत्म होने पर चादर चढाते थे
नाम तो था उसका तो कयूम 
माँ उसको हमेशा कमल बोलती थी
वह हंसता था 
उनको सुधारता था कि मेरा यह नाम है
न माॅ ने कभी सही नाम बोला
आज भी वह उसे इसी नाम से बुलाती है
न जाने कितनी बार झगड़े होंगे 
न जाने कितनी बार रूठे होंगे 
अब वह भी उम्र दराज हो गया है
हमारी भी उम्र खिसकती जा रही है
बडे बडे बच्चे हो गए हैं 
उनको हमारी यह दोस्ती समझ नहीं आती
कैसे समझेंगे ??
परिस्थितियों पर सब निर्भर रहता है
हमारा दौर कुछ और 
उनका दौर कुछ और
इस दौर में दुरियां भी बढी
वह बात नहीं रही
जो उस समय थी 
आज मन में एक शंका है
कौन अपना और कौन पराया 
यह बताया है
तब हम हिन्दू- मुसलमान नहीं थे
हमारी वह पहचान नहीं थी
आज तो है 
दिल दोनों के बदले हैं 
इसका जिम्मेदार कौन ???
 

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