Thursday, 1 February 2024

ऐ जिंदगी ठहरो जरा

ऐ जिंदगी ठहरो जरा
क्या जरूरत आन पडी 
जल्दी जाने की
जरा रुको तो
जरा देखो तो
जरा पीछे भी मुड़कर
देखो तो तुम कितनी हसीन हो
याद करो
तुम कितना बेखबर थी
हंसती - खिलखिलाती थी
सपने दिखाती थी
घंटों अपने आप से बतियाती थी
शीशे के सामने खड़े हो निहारती थी
अपने आप पर इतराती थी
हिरनी सी कुलांचे भरती थी
रात - रात भर ख्वाबों में रहती थी
अब भी तो तुम वही हो
हाँ उम्र थोडा आगे खिसक गई है
तो क्या हुआ
तुम कहाँ हार मानने  वाली 
तुम तो हर हाल में मजबूत रहने वाली
मजबूर होना तो तुमने जाना नहीं 
सबका सामना करना तुमको आता है
अरे रूको , मत जाओ अभी
वैसे भी तुम्हारी मर्जी कहाँ चलती है 
तुम तो ऊपर वाले के हाथ की कठपुतली हो
वह जब तक नहीं चाहेगा 
तुम क्या कर सकती हो
रोने - बिसुरने की जगह हंसकर जीओ
मत भागो
भागो आराम से सुस्ताओ
नजारा देखो दुनियां का 
यह दुनिया बडी हसी है रंगीन है
इससे क्या भागना 
बडी नियामत से मिलती है जिंदगी 
उसे ऐसे जाया न करो 

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