Sunday, 24 March 2024

युग उस समय का और आज का

पांचाली ने कौरवों को कभी माफ नहीं किया
सही किया 
अगर वह माफ करती तो हम उसे माफ नहीं करते
रक्त पान किया दुश्शासन के रक्त से
महाभारत का कारण बनी
विनाश हुआ 
और वह होना ही था
गिरिधर कब तक इनका बोझ उठाते
भरी सभा में एक औरत को निर्वस्र किया जा रहा हो
वह भी सामान्य नारी नहीं 
इन्द्र प्रस्थ की महारानी और दुपद्र राजा की पुत्री 
जब उसका यह हाल तो सामान्य नारियों का क्या होगा
बडे बडे महावीर मुक दर्शक बने थे 
सर झुकाएं बैठे थे 
पांचों महारथी पति भी 
कोई जंघा पर बिठा रहा था तो कोई वेश्या की उपाधि से नवाज रहा था
कैसा वह दृश्य होगा सोचकर भी रोंगटे खडे हो जाते हैं 
फिर वह महाबली और दानी कर्ण हो 
या नीतिज्ञ महात्मा विदुर 
अंधे धृतराष्ट्र नहीं थे सब हुए थे मद में 
कृष्ण नहीं होते तो ??
सबका विनाश होना था और कोई चारा नहीं था
सब खतम हुए 
यहाँ तक कि यादव कुल भी
जब अन्याय की  पराकाष्ठा की सीमा पार होती है तो यही होना था 
अगर रामायण से महाभारत की तुलना करें तो
उस समय मर्यादा थी
रावण भी सीता जी को अशोक वन में रखा
उसके राज्य में रहकर भी वे सुरक्षित थीं 
यहाँ तो कुलवधू ही सुरक्षित नहीं थी
एक युग मर्यादा वाला था दूसरे ने सब मर्यादा तोड़ा
जबकि धर्मराज युधिष्ठिर साथ थे
जो अधर्म का खेल हो रहा था सब खत्म किया 
सुदर्शन चक्र ने 
जहाँ नारी सुरक्षित न महसूस करें 
तब उसका विनाश निश्चित हो
फिर कोई भी युग हो
कोई भी शासक हो 
आज भी निर्भया कांड हो रहा है
खबर तो रहती ही है
कब तक यह होगा 
दृष्टि कोण बदलेगा 
नारी भी दोषी है इसमें 
कम से कम मंदोदरी जैसा विचार तो रखें 
पहले औरत, औरत की इज्जत करें। 

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