Sunday, 24 March 2024

होलिका में दहन

होलिका जली 
रावण जला
हर वर्ष हम इन्हें जलाते हैं 
बहुत धूमधाम से
जश्न मनाते है
एक के मरने पर आतिशबाजी 
एक के जलने पर रंग - गुलाल से होली का खेल 
होलिका भक्त प्रह्लाद की बुआ थी और हिरण्यकषिपु की बहन थी
रावण पुलस्त्य त्रृषि का नाती और कुबेर का भाई था
शिव का सबसे बडा भक्त 
बहुत बडा ज्ञानी 
यह सब होते हुए भी ऐसा अंत 
इनके पीछे अहंकार था
हमारा तो कोई कुछ बिगाड़ ही नहीं सकता
जिस भक्ति से शक्ति मिली थी
उसी शक्ति को चुनौती दे रहे थे
इसलिए उनसे भी भीड़ गए 
अंजाम सबके सामने हैं 
तब सबसे पहले होलिका में अपना अहंकार जलाना है 
बुरी आदतों की आहुति देनी है
ईश्वर से प्रार्थना करनी है 
शक्ति भी दो भक्ति भी दो
अहंकार मत दो 

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