रावण जला
हर वर्ष हम इन्हें जलाते हैं
बहुत धूमधाम से
जश्न मनाते है
एक के मरने पर आतिशबाजी
एक के जलने पर रंग - गुलाल से होली का खेल
होलिका भक्त प्रह्लाद की बुआ थी और हिरण्यकषिपु की बहन थी
रावण पुलस्त्य त्रृषि का नाती और कुबेर का भाई था
शिव का सबसे बडा भक्त
बहुत बडा ज्ञानी
यह सब होते हुए भी ऐसा अंत
इनके पीछे अहंकार था
हमारा तो कोई कुछ बिगाड़ ही नहीं सकता
जिस भक्ति से शक्ति मिली थी
उसी शक्ति को चुनौती दे रहे थे
इसलिए उनसे भी भीड़ गए
अंजाम सबके सामने हैं
तब सबसे पहले होलिका में अपना अहंकार जलाना है
बुरी आदतों की आहुति देनी है
ईश्वर से प्रार्थना करनी है
शक्ति भी दो भक्ति भी दो
अहंकार मत दो
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