हाथ में भोजन
दोनों ही प्रेम से परोसती
ऑसू सच्चे
भोजन सुस्वादु
नहीं इनमें कोई मिलावट
यही तो यह नारी की पहचान
घर को संवारती
प्रेम से महकाती
आनंद की अनुभूति कराती
प्रेरणा देती आगे बढने का
हर समस्या सुलझाती
किसी पर ऑच न आने देती
सब कुछ झेलती पर उफ न करती
मुस्कान चेहरे पर बिखेरे
सबको संवारे
यही तो घरनी
बिना इसके तो घर नहीं
परिवार नहीं
और तो और संसार भी नहीं
न जाने कितने रूप हैं इसके
हर रूप स्नेह - प्रेम से पंगा
संसार की धुरी संभाले हुए
हर गृहणी को सलाम
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