मेरे कृष्ण कभी नहीं रोए
मेरे राम हमेशा मर्यादा में रहें
मेरे राम ने अपना अधिकार छोड़ दिया
मेरे कृष्ण ने अधिकार लेकर दिखाया
मेरे कृष्ण ने साम दाम दंड भेद सब आजमाया
मेरे राम ने क्षमा किया सबको
यहाँ तक कि माता कैकयी को भी
मेरे कृष्ण ने सबको दंड दिया
यहाँ तक कि अर्जुन को भी
यही तो रामायण की सीख है
यही भगवद्गीता का संदेश है
हर युग में अन्याय होगा
वह तय करना है
राम बनकर या कृष्ण बनकर
एक का जन्म राजमहल में
एक का कारागार में
एक ने राजमहल से वन गमन किया
एक ने कारागार से सिंहासन तक का अधिकार लिया
एक ने छोड दिया एक ने हासिल कर लिया
एक पत्नी के वियोग में रोया
एक प्रेमिका के वियोग में भी हंसता रहा
उस रूदन के पीछे की पीड़ा
उस हंसी के पीछे का दर्द
हर किसी ने महसूस किया
हाॅ कर्म किसी ने ना छोड़ा
सत्ता में रहकर या त्याग कर
तभी तो राम, राम हैं
तभी तो कृष्ण, कृष्ण हैं।
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