तुम भी सही
तब गलत कौन
कहीं न कहीं
कोई न कोई
कभी न कभी
कुछ तो किया होगा
कुछ तोड़ा होगा
कुछ गलती की होगी
अंजाने या जानकर
कुछ बोला होगा
कुछ घाव दिए होंगे
कुछ प्रहार किए होंगे
वह दिखता नहीं पर है जरूर
नहीं तो फिर ऐसी बेरुखी क्यों
बेतुकी बातों पर नहीं गुस्सा आता
उस पर तो हंसी आती है
जब शब्दों के नश्तर छोड़े हो
तब प्रेम से पगी मीठी चाशनी की अपेक्षा व्यर्थ है
सह लिया जाता है पर भुलाया नहीं जाता
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