Friday, 22 March 2024

World poetry day विश्व कविता दिवस

मैं कविता लिखती हूँ या कविता मुझे लिखती है
यह समझ न आया 
मन जब विचारों से भरा
भावनाओं ने अपना डेरा डाला
कुछ अंदर का बाहर निकलने को आतुर 
वह कैसे निकले 
माध्यम तो एक ही है शब्द 
शब्दों को कागज पर उकेरा तो वह बनी कविता 
कविता ने मुझे अपने आप से परिचित कराया
लोगों से मेरा करवाया 
कविता से लोगों ने मुझे जाना
मेरी रचना को पढा और सराहा 
हर कोई कवि नहीं बन सकता
हाँ कविता तो सब में समाई है 
भावना ही तो कविता है
कविता का यह एहसान है कि वह मुझ पर मेहरबान है
कविता मुझे इंसानियत का जीवन का एहसास कराती है
आभारी मैं इसकी 
बस लिखती रहूँ मैं इसे और यह मेरे साथ-साथ चलती रहे 

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