आम की बगिया में बैठे गप्प शप
आंगन के बीचो-बीच खटिया डाल कहानियों का दौर
बरसात में ओसारे में से बूंदें टपकना
छत पर सो कर तारें गिनना
झुंड बना दिन ढले लोटा पार्टी
शादी - ब्याह में गाली - मजाक
बच्चों के जन्म पर सोहर
किसी की बरही तो किसी की तेरही
आए दिन न्योता
कडाह में खौलते रस का गरम गरम गुड
आग तापते होरहा भूज कर खाना
ठंड में पुआल पर सोना
पोखर में डुबकी लगाना
रहट की घुंघरू बजाते बैल
घानी पर तेल पेरवाते
कुएँ में रस्सी और बाल्टी से पानी निकालना
ऑधी बाद टपके आम और महुआ को बीनने की होड
अमरूद तोडना और जामुन हिलाना
बरफगोला खाना और माइक्रोस्कोप से चित्र देखना
मेले में जा गुडही जलेबी और पकौडी का लुत्फ उठाना
भडभूजन के यहाँ भूजा भुजवाना
चक्की - जाता चलाते कजरी का दौर
मूसल और ओखली - सिल - बट्टा की भी पूजा
बरम बाबा , डीह बाबा , भैरो बाबा
शीतला माई ना जाने किन किन को पूजा जाना
कढाई चढाना , मन्नतें मांगना
पात में बैठ कर लपकने को खीर तैयार
सत्यनारायण की कथा में सबको स्मरण कर गाना
ऐसे ना जाने कितनी यादें जेहन में समाई
अब वह गांव वैसा नहीं रहा
जैसा हमने छोड़ा था
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