मेरे राम आए हैं अपनी अयोध्या में
ये वही राम है जिसने एक क्षण भी बिना सोचे पिता की आज्ञा मान वन गमन कर गए
ये वही राम हैं जो पत्नी के लिए लंकाधिपति से युद्ध ठान लिया था
ये वही राम हैं जो लखन के लिए जार जार रोए थे
ये वही राम हैं जिसने सिंधु को चुनौती दे डाली थी
ये वही राम है जिसने सुग्रीव और विभिषण जैसे निष्कासितो को राजा बना दिया
ये वही राम है जिसने राजमोह नहीं किया अपनी जन्म भूमि अयोध्या लौट आए थे
ये वही राजा राम है जिसने प्रजा की आज्ञा को शिरोधार्य किया
भले पत्नी का त्याग करना पडा
ये वही राजा राम हैं जहाँ बहुपत्नी प्रथा के बावजूद एक पत्नी व्रती रहे
मूर्ति के साथ बैठना मंजूर था पर सीता के सिवाय और किसी के साथ नहीं
राम राम कहने से कुछ नहीं होता
राम जैसा बनना पडेगा
राम ईश्वर थे या नहीं कुछ लोगों के लिए
लेकिन मानव तो वे थे ही
क्या क्या नहीं झेला तब भी सदा मर्यादा में रहे मेरे राम
राम है तो भारत है
राम बिना तो सब सूना
अब विराजें हैं
खूब खुशियाँ मनाओ
यह रामनवमी तो कुछ खास है
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