Sunday, 15 December 2024

हमारा सफर

सफर करते रहें
जिंदगी की गाड़ी चलती रही
समय भी अपनी अबाध गति से भागता रहा
चिंतन - मनन का समय ही न मिला 
सोच रहे हैं
सफर पूरा हुआ या अधूरा रहा
क्या हर कुछ हासिल हुआ 
क्या मंजिल पर पहुँचे 
निश्चय नहीं कर पाए रहें
क्या कुछ नहीं हुआ 
सफर और मंजिल में हम कहाँ खड़े हैं 
अब तक लगता था 
हमने बहुत कुछ किया
बहुत कुछ सहा
लेकिन यह गलत है
हमने तो कुछ किया ही नहीं
समय ने अपना काम किया
उसे जब जो करना था उसने वही किया 
आदमी कुछ करता ही नहीं
अपने आप होता है
सब भ्रमजाल है
हम जकड़े पड़े हैं 
अपनी सफलता अपनी उपलब्धि 
अपनी असफलता अपनी नाकामी 
ऐसा कुछ नहीं
सोचना ही नहीं है
होने दो जो हो रहा है
जितना सफर लिखा होगा
वह तो करना ही है 

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