Monday, 16 December 2024

साथ चलना

उसने  मुझसे कहा
मैं आपको भलीभांति समझता हूँ 
मेरे मुख पर मुस्कान आ गई 
मुख पर मुस्कान 
मन में द्वंद्व 
उन्हें शायद यह नहीं पता
जो मैं दिखता हूँ वह हूँ नहीं 
जो हूँ वह दिखता नहीं 
न जाने क्या-कुछ दबाऍ बैठा हूँ 
छोटे से मन में बहुत कुछ छिपाए बैठा हूँ 
मन को खोलना मुझे भाता नहीं 
तुमको समझना आता नहीं 
यही तो राज है 
बरसों का साथ 
फिर भी एक - दूसरे से अंजान
तुम अंदाज लगाते रहो 
मैं अंजाम की फिक्र करता रहूं 
समझे कोई या न समझे 
अब उन सबसे ऊपर मेरा स्तर
साथ रहकर भी साथ नहीं 
हमसफर होकर भी सफर के साथी नहीं 
साथ तो फिर भी चलना है 
न चले तो फिर करें क्या 

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