जनवरी भी आती है नयी आशा के साथ
दिसंबर भी जाता है आने वाले नयी आशा के साथ
यही चलता आया है
सब अपनी - अपनी छाप छोड़ जाते हैं
जीवन ऐसे ही गुजर जाता है
वक्त के साथ हम भी चलते रहते हैं
बार - बार पीछे मुड़कर देखते हैं
बार- बार हम आगे की सोचते हैं
करते वही है जो वर्तमान में घटित होता रहता है
जीते तो वर्तमान को ही
भूत - भविष्य पीछा नहीं छोड़ते
कल का पता नहीं
दिसंबर भी आएगा
जनवरी भी आएगी
पते की बात तो जीवन है
वह ही रहे सलामत
ये महीने ये साल
आते - जाते रहेंगे
No comments:
Post a Comment