Tuesday, 17 December 2024

वाह रे उस्ताद

अब तबले की थाप नहीं सुनाई पड़ेगी 
एक घुंघराले बालों वाला युवा 
जब तबले की थाप देता था
तब हर दर्शक झूम उठता था 
वाह ताज !!! 
इसने तो चाय को भी मशहूर कर दिया
ठप ठप ठप ठप धप धप धप धप
वह ध्वनि मानो थिरकते थी
उनकी उंगलियों के साथ खेलती थी
शमां बांध देती थी 
वाह रे उस्ताद 
अपने साज को छोड़कर अलविदा कह दी 
आप अलविदा भले कह दे
वह तबले की धुन कायम रहेगी
जब भी सुनेगे 
तब यही निकलेगा मुख से 
वाह रे उस्ताद 

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