एक घुंघराले बालों वाला युवा
जब तबले की थाप देता था
तब हर दर्शक झूम उठता था
वाह ताज !!!
इसने तो चाय को भी मशहूर कर दिया
ठप ठप ठप ठप धप धप धप धप
वह ध्वनि मानो थिरकते थी
उनकी उंगलियों के साथ खेलती थी
शमां बांध देती थी
वाह रे उस्ताद
अपने साज को छोड़कर अलविदा कह दी
आप अलविदा भले कह दे
वह तबले की धुन कायम रहेगी
जब भी सुनेगे
तब यही निकलेगा मुख से
वाह रे उस्ताद
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