इसका कोई पैमाना ??
नजरिया है अपना - अपना
सूर्योदय की किरण खूबसूरत
सूर्यास्त की लालिमा कहाँ कम
आकाश की नीलिमा मनभावन
धरती की हरियाली की तो बात ही निराली
हरे - भरे पेड़ खूबसूरत
ठूंठ भी तो अलग ही दिखते
मोती जैसे दांत खूबसूरत
पोपली बिना दांतों के हंसी का कोई तोड़ नहीं
नदी की ममता खूबसूरत
पहाड़ का कठोर पन भी तो
खंडहर भी खूबसूरत लगते
एहसास कराते हैं अपने खूबसूरत दिनों की
हर उम्र खूबसूरत
यौवन का मदमाती सौंदर्य हो
बुढ़ापें की बालो की चांदी हो
भागते हुए कदम हो
संभलता हुआ एक - एक डग हो
अनुभव तो कर लो
एक की तुलना दूसरे से नहीं
जो है वही है खूबसूरत
जी लो उस क्षण को
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