Saturday, 21 December 2024

मत तोड़ ऐसे

मैंने तुमको हर बात बताई 
कुछ नहीं छुपाया
विश्वास किया अपने से ज्यादा
यह भूल गया 
सब समय के अनुसार बदल जाता है
तुम न बदलोगे 
यह यकीन भी था जेहन में
दिल खोलकर रखा था कभी 
आज थोड़ा-बहुत दूरी क्या बनी
तुमने तो उसका तमाशा बना दिया
सबके सामने नुमाइश करते फिर रहे हो 
अरे थोड़ा तो रुक जाते 
सोच लेते 
दूरी फिर नजदीकी में बदल जाती 
लेकिन तुमने तो कोई कसर न छोड़ी 
अब तो दिल क्या 
ऑख भी मिलने से रही 
हाथ क्या पकड़ेंगे 
देखकर पीठ फेर लेंगे
जिस मुख पर कभी मुस्कान आ जाती थी 
तुम्हारा नाम सुन
आज तो वह नाम भी मुख से नहीं निकलता 
सही है 
तोड़ा तो जुड़ता नहीं
जुड़ा तो गांठ पड़ जाना है 

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