कुछ नहीं छुपाया
विश्वास किया अपने से ज्यादा
यह भूल गया
सब समय के अनुसार बदल जाता है
तुम न बदलोगे
यह यकीन भी था जेहन में
दिल खोलकर रखा था कभी
आज थोड़ा-बहुत दूरी क्या बनी
तुमने तो उसका तमाशा बना दिया
सबके सामने नुमाइश करते फिर रहे हो
अरे थोड़ा तो रुक जाते
सोच लेते
दूरी फिर नजदीकी में बदल जाती
लेकिन तुमने तो कोई कसर न छोड़ी
अब तो दिल क्या
ऑख भी मिलने से रही
हाथ क्या पकड़ेंगे
देखकर पीठ फेर लेंगे
जिस मुख पर कभी मुस्कान आ जाती थी
तुम्हारा नाम सुन
आज तो वह नाम भी मुख से नहीं निकलता
सही है
तोड़ा तो जुड़ता नहीं
जुड़ा तो गांठ पड़ जाना है
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