कब तक मारोगे
कभी गर्भ में कभी बाहर
कब तक प्रताड़ित करते रहोगे
कब तक उसको गुलाम बना कर रखोगे
कब तक उसकी उन्नति में बाधक बनोगे
अंदर नहीं तो बाहर
उसको शांति से जीने नहीं दोगे
अब तो सुधर जाओ
अन्यथा कहीं के न रहोगे
ना धर्म बचेगा
ना तुम्हारा घर-परिवार
आदर दो
अधिकार दो
बराबर का समझो
उसे संगिनी और साथी समझो
अकेले न तुम चल सकते हो
न परिवार और संसार
बहुत हो गया
अब तो बस ।।
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