Thursday, 23 January 2025

शून्य

मैं शून्य हूँ 
मेरी कीमत क्या है 
सोचता हूँ
अपने आप में कुछ भी नहीं 
अपने लिए कुछ महत्व नहीं
ऐसा लगता है 
मेरा जीवन बेकार है
मेरा क्या अस्तित्व 
नजर डाली एक बार 
सोचा अपने बारे में
इतना भी बुरा नहीं मैं 
जिसके साथ जुड़ा
उसका मूल्य बढ़ा 
मेरा मूल्यांकन तब हुआ 
अपनी नजर में भले ही शून्य 
लेकिन औरों की नजर में नहीं
वो तो अपने साथ मुझे जोड़ना चाहते हैं
भले ही स्वार्थ वश 
औरों का मूल्य बढ़ जाए मेरी संगति से 
इतना ही काफी है मेरी शून्यता के लिए 

No comments:

Post a Comment