मेरी कीमत क्या है
सोचता हूँ
अपने आप में कुछ भी नहीं
अपने लिए कुछ महत्व नहीं
ऐसा लगता है
मेरा जीवन बेकार है
मेरा क्या अस्तित्व
नजर डाली एक बार
सोचा अपने बारे में
इतना भी बुरा नहीं मैं
जिसके साथ जुड़ा
उसका मूल्य बढ़ा
मेरा मूल्यांकन तब हुआ
अपनी नजर में भले ही शून्य
लेकिन औरों की नजर में नहीं
वो तो अपने साथ मुझे जोड़ना चाहते हैं
भले ही स्वार्थ वश
औरों का मूल्य बढ़ जाए मेरी संगति से
इतना ही काफी है मेरी शून्यता के लिए
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