Sunday, 26 January 2025

विजयी विश्व तिरंगा प्यारा

तीन रंगों से रंगा
सबसे प्यारा सबसे न्यारा
यह तिरंगा हमारा
आन - बान - शान से खड़ा 
फख्र से लहराता
है गुरुर अपने गौरवशाली इतिहास का 
जहाँ जन्मी है झांसी वाली रानी 
वीर शिवाजी का मराठा बोला था
राणा प्रताप का चेतक डोला था
राम- कृष्ण की भूमि 
जहां ईश्वर को भी अवतरित होना था 
राजमहल को ठुकराया 
अमन - शांति का संदेश फैलाया 
बुद्ध की तपोस्थली है 
एक नंगा फकीर भी जिसने स्वतंत्रता का नारा लगवाया था
भगतसिंह सा नौजवान जो फांसी के फंदे पर चढ़ मुस्कराया 
नहीं आजाद सा दिखा कोई मरने पर भी पुलिस पास जाने पर घबराई थी 
आनंद भवन के आनंद को छोड़कर जेल स्वीकारा था
वह जो बच्चों का चाचा नेहरू था
बिना खून के आजादी नहीं ऐसा सुभाष ने बोला था 
छोटे से कद के लाल जिसके वह लाल बहादुर ने परचम फहराया था 
हुई एक इंदिरा जिसने दुनिया के नक्शे को बदला था 
थे अटल वह जिनकी कविता सुन संसद भी झूमा था
हुए मनमोहन जो बिन बोले ही अर्थ व्यवस्था को व्यवस्थित चलाया था 
न जाने कितने हुए गुदड़ी के लाल
आज एक चायवाला देश को चला रहा है
दुनियाभर में परचम फहरा रहा है 
प्रयागराज में डुबकी लगाने दुनियाभर के लोग आए हैं
मां गंगा का आशीर्वाद की अभिलाषा है 
आज फिर गणतंत्र दिवस आया है
संविधान को याद कर लें 
वीरों के बलिदान को भूले कैसे 
यह देश हमारा है यह स्मरण सबको रहें 
अधिकार हमारा है तो कर्तव्य भी हमारा है 
चाहे जो भी हो जैसा भी हो 
यह देश तो हमारा है 
आओ सब प्रेम से बोले 
धरती से आसमान तक गूंजे 
झंडा ऊंचा रहे हमारा 
      विजयी विश्व तिरंगा प्यारा 

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