मैं वह छोटा सा दीप बनना चाहूंगा भले मुझे जलना पड़े
बाद में घूरे में फेंक दिया जाऊ
इतना संतोष तो रहेगा
जब तक जीया रोशन करता रहा
मैं जी भर जला मन भर मरा
मैं माचिस की तीली बनना पसंद नहीं करुंगा
मैं मोमबत्ती बनना चाहूंगा
कम से कम अंधेरे को भगाऊंगा
अपना प्रकाश फैलाऊंगा
मैं अगरबत्ती- कपूर बनना चाहूंगा
जब तक जलूंगा
सुगंध तो फैलाऊंगा
अपने भले मिट जाऊंगा
खत्म होने के बाद भी कुछ समय सुगंध बनी रहेंगी
मैं माचिस की तीली बनना पसंद नहीं करुंगा
किसी को जलाना
मेरे जीवन का उद्देश्य नहीं
जल जाऊंगा, मर जाऊंगा , मिट जाऊंगा
जिद और हठ फिर भी न छोड़ूगा
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