Tuesday, 28 January 2025

माचिस की तीली बनना पसंद नहीं

मैं माचिस की तीली बनना नहीं पसंद करुंगा 
मैं वह छोटा सा दीप बनना चाहूंगा भले मुझे जलना पड़े 
बाद में घूरे में फेंक दिया जाऊ 
इतना संतोष तो रहेगा 
जब तक जीया रोशन करता रहा 
मैं जी भर जला मन भर मरा
मैं माचिस की तीली बनना पसंद नहीं करुंगा 
मैं मोमबत्ती बनना चाहूंगा 
कम से कम अंधेरे को भगाऊंगा 
अपना प्रकाश फैलाऊंगा 
मैं अगरबत्ती- कपूर बनना चाहूंगा
जब तक जलूंगा 
सुगंध तो फैलाऊंगा 
अपने भले मिट जाऊंगा 
खत्म होने के बाद भी कुछ समय सुगंध बनी रहेंगी 
मैं माचिस की तीली बनना पसंद नहीं करुंगा
किसी को जलाना 
मेरे जीवन का उद्देश्य नहीं 
जल जाऊंगा,  मर जाऊंगा , मिट जाऊंगा 
जिद और हठ फिर भी न छोड़ूगा 

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